बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
शैशवावस्था में बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
शैशवावस्था में बालकों के संवेग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
संवेगात्मक विकास
(Emotional Development)
संवेग शब्द अंग्रेजी भाषा के 'Emotion का हिन्दी रूपान्तर है। Emotion लेटिन भाषा के Emover शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है “To move To Stired, To arouse, To excited" अर्थात् " हिला देना उत्तेजित करना" भड़क उठना।
जब संवेगों की उत्पति होती है तो व्यक्ति का शरीर उत्तेजित व उद्वेलित हो जाता है।
संवेग व्यक्ति को झकझोर कर रख देता है। एक क्रोधिक व्यक्ति का अवलोकन करें तों पायेंगे कि उसका चेहरा क्रोध से लाल, दाँत किटकिटाते हुए, ओठ फड़फड़ाते हुए, मुठियाँ भींची हुई, हाथ एवं पैर तने हुए तथा सम्पूर्ण शरीर इतना अधिक उत्तेजित एवं उद्वेलित दिखाई देता है।
प्राणी के विकास क्रम में संवेगात्मक विकास का बड़ा महत्व है। संवेग प्राणी के व्यक्तित्व का निर्धारण करते हैं। यदि किसी व्यक्ति का संवेगात्मक विकास सुचारू रूप से नहीं होता है तो उसका व्यक्तित्व निर्माण भी सही प्रकार से नहीं होता है। प्राणी के जीवन में संवेगात्मक विकास समान गति से नहीं होता है। प्रत्येक अवस्था में इसके विकास की गति भिन्न-भिन्न होती है।
शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास नवजात शिशु के संवेगात्मक विकास के अन्तर्गत नवजात शिशु के संवेग आते हैं। वैज्ञानिकों के बीच शिशुओं के संवेगात्मक विकास के सम्बन्ध में मतभेद है। कुछ विद्वानों के अनुसार नवजात शिशुओं में संवेग तो पाये जाते हैं किन्तु वे अविकसित होते हैं और उनकी अभिव्यक्ति केवल कुछ क्रियाओं तक ही सीमित होती है जबकि कुछ विद्वानों के मतानुसार नवजात शिशुओं में संवेगात्मक विकास नहीं होता है वह तो केवल बाह्य उद्दीपकों के प्रति अनुक्रियायें करते हैं।
वाटसन ने अपने अध्ययनों के बाद बताया कि शिशुओं में प्रमुख रूप से तीन संवेग पाये जाते हैं -
(1) क्रोध - शिशु क्रोध का प्रदर्शन तब करता है जब उसकी प्रिय वस्तु को उससे छीन लिया जाता हैं।
(2) भय तीव्र ध्वनियों और अकेलेपन का अहसास शिशु में भय संवेग की उत्पति करता है भय का प्रदर्शन, बालक रोक, हाथ-पैर पटकर और सास रोक कर करता।
(3) प्रेम प्रेम व स्नेहपूर्ण व्यवहार से शिशु में प्रेम संवेग की उत्पत्ति होती है। जब शिशु को सहलाया जाता है, गुदगुदाया जाता है या थपथपाया जाता है तो वह प्रेम का प्रदर्शन करता है।
इस प्रकार अभी शैशवावस्था में कुछ ही महत्वपूर्ण संवेग पाये जाते हैं तथा समय के साथ इनके संवेग कभी तीव्र तथा कभी कम हो जाते हैं।
बचनावस्था या स्कूल पूर्व बालकों में संवेगात्मक विकास बालकों में जन्म से ही संवेग पाया जाता है। गर्भावस्था में यदि माता सुखद संवेगों की अनुभूति करती रहती है तो बालक भी प्रसन्न तथा खुश रहता है। इसके विपरीत ईर्ष्या, कलह, दुःख, पीड़ा, भय आदि नकारात्मक संवेगों का दुष्प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है।
बाल्यावस्था में शैशवावस्था के संवेगों का ही विकसित रूप दिखाई देता है। इस अवस्था में शैशवावस्था की तुलना में संवेगों की तीव्रता में कुछ कमी आ जाती है क्योंकि बालक अब सामाजिक भय और निन्दा के कारण अपने संवेगों पर नियन्त्रण करना सीख जाता है।
बाल्यावस्था में बालकों में प्रकट होने वाले प्रमुख संवेग निम्नलिखित हैं -
(1) भय भय एक ऐसी अप्रिय आन्तरिक अनुभूति है जिसमें बालक या प्राणी अप्रिय और खतरनाक परिस्थितियों, वस्तु या प्राणी से दूर भागने की चेष्ठा करता है। भय की अवस्था में व्यक्ति आत्मविश्वास खो देता है।
भय की उत्पति के कारण - भय की उत्पत्ति के प्रमुख तीन कारण हैं
(1) व्यक्तिगत अप्रिय अनुभूतियाँ,
(2) अनुकरण,
(3) अतिरिक्त भय सम्बद्धत्ता।
(2) क्रोध (Anger) अन्य संवेगों की तुलना में क्रोध संवेग बालकों में अधिक प्रमुखता से दिखायी पड़ता है क्योंकि बालक यह समझता है कि क्रोध का प्रदर्शन कर वह माता-पिता द्वारा अपनी इच्छाओं की पूति कस लेगा।
क्रोध की उत्पति के कारण - बालकों में क्रोध की उत्पति का कोई एक निश्चित कारण नहीं होता है। बालकों में क्रोध के कई कारण हो सकते हैं जो निम्न हैं-
(1) यदि बालक की शारीरिक क्रियाओं में अवरोध उत्पन्न किया जाता है तो बालक क्रोध का प्रदर्शन करने लगता है।
(2) शरीर की आन्तरिक दशायें जैसे भूख, प्यास, थकान, पीड़ा, रोग आदि अवस्था ओं में भी बालकों में क्रोध की उत्पति होती है।
(3) यदि बालक को अनावश्यक रूप से बार-बार चिढ़ाया जाता है तो वह क्रोध का प्रदर्शन करता है।
(4) समायोजन का अभाव बालकों में क्रोध की उत्पत्ति करता है।
(5) जब बालकों की इच्छाओं की पूर्ति नहीं होती है तो वे क्रोध का प्रदर्शन करते हैं।
(3) ईर्ष्या ईर्ष्या की उत्पत्ति क्रोध से होती है और इसके अंदर सदैव अप्रसन्नता का भाव निहित रहता है। बालकों में ईर्ष्या की उत्पति विशेषकर से 2 वर्ष की अवस्था में होती है। जब परिवार में नये शिशु का आगमन हो जाता है तब माता-पिता का ध्यान नये शिशु की ओर अधिक आकर्षित हो जाता है।
ईर्ष्या के कारण यह निम्न हैं
(1) परिवार में नये बच्चे का आगमन पहले बालक में ईष्या का भाव उत्पन्न करता है क्योंकि माता-पिता का ध्यान नये शिशु की ओर अधिक हो जाता है।
(2) जब बच्चे के कार्यों या व्यवहारों की तुलना अन्य बच्चों से की जाती है।
(3) जब माता-पिता का व्यवहार अपने सभी बालकों के साथ समान नहीं होता है वे अपने किसी एक बालक को दूसरे की तुलना में अधिक प्यार, साधन तथा सुविधायें प्रदान करते है तो दूसरे बच्चे में ईर्ष्या की उत्पत्ति होती है।
(4) स्नेह - बालकों में स्नेह धनात्मक संवेग है। शिशुओं में इस संवेग की उत्पति आठ से दस महीने में होने लगती है और तब से इसका विकास क्रमिक गति से होता रहता है।
सबसे पहले स्नेह माँ के प्रति विकसित होता है। जब बालक 17 से 2 वर्ष कीआयु मेबालक दूसरे बच्चों के साथ खेलना प्रारम्भ करता है तो अपने स्नेह का प्रदर्शन दूसरे बच्चों के साथ भी करता है।
(5) आनन्द आनन्द भी धनात्मक संवेग है। इसकी उत्पत्ति सुख की भावना से होती है। इस संवेग की उत्पत्ति जन्म के तीसरे माह से हो जाती है किन्तु इसका स्वरूप इस समय अधिक स्पष्ट नहीं होता है। 1 वर्ष के बालक में आनन्द संवेग के प्रादुर्भाव को आसानी से देखा जा सकता है।
|
- प्रश्न- पारम्परिक गृह विज्ञान और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता एवं भारतीय गृह वैज्ञानिकों के द्वारा दिये गये योगदान की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- NIPCCD के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद' (I.C.M.R.) के विषय में विस्तृत रूप से बताइए।
- प्रश्न- केन्द्रीय आहार तकनीकी अनुसंधान परिषद (CFTRI) के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- NIPCCD से आप समझते हैं? संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिक अनुसंधान संस्थान के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कोशिका किसे कहते हैं? इसकी संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए तथा जीवित कोशिकाओं के लक्षण, गुण, एवं कार्य भी बताइए।
- प्रश्न- कोशिकाओं के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्लाज्मा झिल्ली की रचना, स्वभाव, जीवात्जनन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का 'पावर हाउस' कहलाता है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रक के विभिन्न घटकों के नाम बताइये। प्रत्येक के कार्य का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रक का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- पाचन तन्त्र का सचित्र विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पाचन क्रिया में सहायक अंगों का वर्णन कीजिए तथा भोजन का अवशोषण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- पाचन तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य पाचक रसों का संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा पाचन क्रिया में इनकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आमाशय में पाचन क्रिया, छोटी आँत में भोजन का पाचन, पित्त रस तथा अग्न्याशयिक रस और आँत रस की क्रियाविधि बताइए।
- प्रश्न- लार ग्रन्थियों के बारे में बताइए तथा ये किस-किस नाम से जानी जाती हैं?
- प्रश्न- पित्ताशय के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- आँत रस की क्रियाविधि किस प्रकार होती है।
- प्रश्न- श्वसन क्रिया से आप क्या समझती हैं? श्वसन तन्त्र के अंग कौन-कौन से होते हैं तथा इसकी क्रियाविधि और महत्व भी बताइए।
- प्रश्न- श्वासोच्छ्वास क्या है? इसकी क्रियाविधि समझाइये। श्वसन प्रतिवर्ती क्रिया का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- फेफड़ों की धारिता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बाह्य श्वसन तथा अन्तःश्वसन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- श्वास लेने तथा श्वसन में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- हृदय की संरचना एवं कार्य का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रक्त परिसंचरण शरीर में किस प्रकार होता है? उसकी उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- हृदय के स्नायु को शुद्ध रक्त कैसे मिलता है तथा यकृताभिसरण कैसे होता है?
- प्रश्न- धमनी तथा शिरा से आप क्या समझते हैं? धमनी तथा शिरा की रचना और कार्यों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- लसिका से आप क्या समझते हैं? लसिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रक्त का जमना एक जटिल रासायनिक क्रिया है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रक्तचाप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हृदय का नामांकित चित्र बनाइए।
- प्रश्न- किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का रक्त क्यों नहीं चढ़ाया जा सकता?
- प्रश्न- लाल रक्त कणिकाओं तथा श्वेत रक्त कणिकाओं में अन्तर बताइए?
- प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए। (i) चयापचय (ii) उपचारार्थ आहार।
- प्रश्न- "पोषण एवं स्वास्थ्य का आपस में पारस्परिक सम्बन्ध है।' इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- अभिशोषण तथा चयापचय को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शरीर पोषण में जल का अन्य पोषक तत्वों से कम महत्व नहीं है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्य तथा वर्गीकरण बताइए।
- प्रश्न- भोजन के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- आमाशय में पाचन के चरण लिखिए।
- प्रश्न- मैक्रो एवं माइक्रो पोषण से आप क्या समझते हो तथा इनकी प्राप्ति स्रोत एवं कमी के प्रभाव क्या-क्या होते हैं?
- प्रश्न- आधारीय भोज्य समूहों की भोजन में क्या उपयोगिता है? सात वर्गीय भोज्य समूहों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- “दूध सभी के लिए सम्पूर्ण आहार है।" समझाइए।
- प्रश्न- आहार में फलों व सब्जियों का महत्व बताइए। (क) मसाले (ख) तृण धान्य।
- प्रश्न- अण्डे की संरचना लिखिए।
- प्रश्न- पाचन, अभिशोषण व चयापचय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आहार में दाल की उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- दूध में कौन से तत्व उपस्थित नहीं होते?
- प्रश्न- सोयाबीन का पौष्टिक मूल्य व आहार में इसका महत्व क्या है?
- प्रश्न- फलों से प्राप्त पौष्टिक तत्व व आहार में फलों का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए एवं उनके कार्य बताइये।
- प्रश्न- रेशे युक्त आहार से आप क्या समझते हैं? इसके स्रोत व कार्य बताइये।
- प्रश्न- वसा का अर्थ बताइए तथा उसका वर्गीकरण समझाइए।
- प्रश्न- वसा की दैनिक आवश्यकता बताइए तथा इसकी कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों को बताइए।
- प्रश्न- विटामिन से क्या अभिप्राय है? विटामिन का सामान्य वर्गीकरण देते हुए प्रत्येक का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- खनिज तत्व क्या होते हैं? विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्वों के कार्यों तथा प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रोटीन की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
- प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
- प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
- प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
- प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
- प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
- प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
- प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
- प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
- प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
- प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
- प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
- प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?